दौर

नेहा लिम्बोदिया इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************** दौर-दौर की बात अलग है, दौर-दौर के रंग निराले। दौर-दौर के ठाट अनूठे, दौर-दौर की फ़िज़ा अलबेली। दौर-दौर के रूप अनोखे, दौर-दौर से चलती दुनिया। दौर-दौर का अपना मजा है, दौर-दौर को जी लो यारों। करो कर्म-परिश्रम जमकर तुम, दौर-दौर को अपना बना लोll

नारी हूँ मैं

नेहा लिम्बोदिया इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************** कई रूप हैं मेरे, कभी चंचल चाँदनी कभी गंभीर गहराई लिए हूँ। कभी शांत समुद्र-सी, लेकिन लिए हलचल बहुत हूँ। सृष्टि का आधार भी मैं हूँ, और इसको सँवारने वाली भी मैं हूँ। क्या बोलूँ ? क्या हूँ मैं…? बस एक नारी हूँ मैं…, बस एक नारी हूँ मैं…॥