अस्तित्व की खोज में

डॉ. सुरेश जी. पत्तार ‘सौरभ बागलकोट (कर्नाटक)  ************************************************************************* नजर चुराते, किनारहीन जीवन सागर में छोटी-बड़ी लहरों से टकराते, आकस्मिक ज्वार-भाटों से डरते। आकलन से परे गहराई के डर से, अष्ट दिशाओं में निहारते अदृश्य,कल्पित,अदृष्ट के स्वर्ग लोक पर भरोसा कर, तन-मन से अथक खेते-खेते। कर्म फल पर अटूट विश्वास कर, संसार की चींटी से लेकर- … Read more