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अस्तित्व की खोज में

डॉ. सुरेश जी. पत्तार ‘सौरभ
बागलकोट (कर्नाटक) 
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नजर चुराते,
किनारहीन जीवन सागर में
छोटी-बड़ी लहरों से टकराते,
आकस्मिक ज्वार-भाटों से डरते।
आकलन से परे गहराई के डर से,
अष्ट दिशाओं में निहारते
अदृश्य,कल्पित,अदृष्ट के
स्वर्ग लोक पर भरोसा कर,
तन-मन से अथक खेते-खेते।
कर्म फल पर अटूट विश्वास कर,
संसार की चींटी से लेकर-
डाईनोसार तक सुपरिचित
सागर माता से पसीना मिलाते।
जा रहा जीवन जहाज यान,
अस्तित्व की खोज में॥

परिचय- डॉ.सुरेश जी. पत्तार का उपनाम ‘सौरभ’ हैl इनका निवास बागलकोट (राज्य कर्नाटक) में और यही स्थाई है। आपका जन्म कर्नाटक में ही ४ जून १९७९ का हैl आपकी शिक्षा एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. सहित पी.एच-डी.भी है। आपका कार्यक्षेत्र मूलतः सरकारी अध्यापक(हिन्दी) का हैl आपको कविता,कहानी एवं आलेख लिखने का शौक है। `नागार्जुन के काव्य में शोषित वर्ग`विषय पर आपने लघु शोध प्रबंध तैयार किया है तो कई पत्रिकाओं में आलेख,कविताएँ तथा कहानी प्रकाशित हो चुकी है।

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