नारी
रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’ कैमूर(बिहार) *************************************************** सृष्टि की रचनाकार, जिनके कई प्रकार, सागर ममता लिए, नित्य दिन रहती। कहलाती कभी दुर्गा, कभी काली बन जाती, चंडिका भवानी बन, पाप नाश करती। नारी अबला नहीं है, झाँसी वाली रानी बन, सामने फिरंगियों को, काट कर बढ़ती। क्षेत्र चाहे कोई भी हो, चहुँओर भाग लिए, चोटियों गगन … Read more