सबसे हँस के बोलिये

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** रखते हैं उर में सदा, माया का जंजाल। उर को रीता राखिए , आयेंगे गोपाल॥ जग में ऐसे भागते, घूमें जैसे बैल। लेकिन सुख पाया नहीं, थे सपनों के शैल॥ पिय के हिय में हो छुपी, पिया हृदय की बात। ऐसी पावन नेह में, नित होता प्रभात॥ सबसे हँस के … Read more

खोज…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** माहुर में भी अमिय खोजना, जो इस उर को आ जाता। तिमिर हार कर,दीपशिखा बन, जीवन पथ पर छा जाता॥ दुश्कर जीवन भी उर में नित, गीत मनोहर धर जाता। सजल नयन की पीड़ा को हर, मधु उछास ही भर जाता॥ दुर्जन के उर के कोने में, सज्जन का दर्शन … Read more

लाओ माँ कुछ दाने दे दो

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** माँ ये चिड़िया रोज भोर में, आकर मुझे जगाती है। बैठ हमारी छत पर निशिदिन, मधुरिम गीत सुनाती हैll कभी बुलाकर संगी-साथी, कलरव यह कर जाती है। इसके मधुरिम कलरव से नित, दादी भी जग जाती हैll लाओ माँ कुछ दाने दे दो, मैं चिड़िया को देता हूँ। रोज सुबह … Read more

कैसे हो मुस्कान ?

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** राम-किसन के देश का, कैसा बुरा हाल। युवक चल रहे शान से, टेढ़ी-मेढ़ी चाल॥ टेढ़ी-मेढ़ी चाल, नशे का लगा रोग है। घर का बुरा हाल, दुखी से सभी लोग हैं॥ कह ‘सागर’ कविराय, नशे के आदी बन के, कैसे हो मुस्कान, देश में राम-किशन के॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर … Read more

गुणी है अतिशय तुलसी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** तुलसी अदरक डाल के, काढ़ा बनता खास। सर्दी रहती दूर ही, मिटती कंठ खरांस॥ मिटती कंठ खरांस, शीत भी डर जाती है। और साँस में नवल, ताजगी भर जाती है॥ कह सागर कविराय, रहेंगी साँसें हुलसी। कहते सारे वेद, गुणी है अतिशय तुलसी॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म … Read more

आओ हास करें..

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** जीवन कितने दिन का ?,आओ हास करें। छोड़ उरों से रिपुता,मिलकर रास करेंll यमशाला है भू पर,भू पर इन्द्रपुरी। क्या मिलता है किसको,उर में छिपी धुरीll विपदा में हो कोई,उसके घर जाकर। छांटें उसके शूल व,बांटे कुसुमाकरll उपजे कटुता कोई,उसका नास करें। जीवन कितने दिन का ?,आओ हास करेंll राघव … Read more

मैं और तू

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** तू जीतेगा एक दिन, मैं की होगी हार। मेरा मैं तोड़न लगा, मेरा पालनहार॥ तू वासित-सा फूल है, मैं काँटा या फूस। तू बासन्ती मास है, मैं निपात या पूस॥ मैं निपात की लाकड़ी, तू तो है मधुमास। मैं सुदामा दीन बड़ा, तू किसना का रास॥ मैं सूखी-सी ताल है, … Read more

वसुधा को आह

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** ऐ सावन क्या कर दिया, ऐसा तूने राड़। बहा रही है जिन्दगी, भू पर चढ़ती बाढ़॥ सावन नित देने लगा, वसुधा को यूँ आह। पानी,पानी हो रहा, नहीं नीर की थाह॥ नीरद अब विनती सुनो, मंद करो कुछ चाल। मनुज कष्ट हैं सह रहे, वसुधा हुई निढाल॥ नीरद तुमने भर … Read more

दिखी घाटी में मुस्कान

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** सालों,सालों में दिखी, घाटी में मुस्कान। पाथर भी गाने लगे, आज नेह के गान॥ गीत नेह के भर गये, ऊँचा माँ का भाल। हरियाली घाटी हुई, जो थी खूं से लाल॥ एक हमारा ध्वज हुआ, उपजा एक विधान। जग में उजली हो गई, भारत की पहिचान॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक … Read more

चाँद नहीं है दूर

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** भारत जग का भाल है, जग का है प्रधान। भारत की गति देखकर, आज रहा जग मान॥ मेरे भारत के लिये, चाँद नहीं है दूर। करते हैं कहते नहीं, खट्टे हैं अंगूर॥ गया उपग्रह चाँद में, दुनिया है हैरान। कैसे भारत गा रहा, सदा विजय के गान॥ देखो बच्चों है … Read more