माँ

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ मेरठ (उत्तरप्रदेश) ****************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ तुम केवल शब्द नहीं हो, तुम अक्षर अनुप्रासl तुम जननी निरकेवल भाषा तुम ममता का पत्र, तुम सामाजिक एक धरोहर तुम प्रतीक का सत्र, तुम संवेदन सहनशीलता अवलोकन की प्यासl तुम असाढ़ की भीगी बदली तुम मंदिर का शंख, आसमान की किरण कौमुदी तुम … Read more

पेट की आग

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ मेरठ (उत्तरप्रदेश) ****************************************************** बल-प्रयोग के जहरवाद से, दु:खी पेट की आग। उत्पीड़न के नसतरंग का नहछू और नहावन, छुआछूत की दाल-पिठौरी पत्थर का परिछावन, कुमुदिनियों के अंग-अंग पर ‘मैं-भी’ का है दाग। भूख-प्यास की दोपहरी की साँस-साँस वैरागी, नहर-निरीक्षण-घर में सेवा रात बिताई भागी, गहन अँधेरे में मंत्रालय खूब पकाये पाग। लोक-लुभावन … Read more