कुल पृष्ठ दर्शन : 503

पेट की आग

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ (उत्तरप्रदेश)
******************************************************

बल-प्रयोग के जहरवाद से,

दु:खी पेट की आग।

उत्पीड़न के नसतरंग का

नहछू और नहावन,

छुआछूत की दाल-पिठौरी

पत्थर का परिछावन,

कुमुदिनियों के अंग-अंग पर

‘मैं-भी’ का है दाग।

भूख-प्यास की दोपहरी की

साँस-साँस वैरागी,

नहर-निरीक्षण-घर में सेवा

रात बिताई भागी,

गहन अँधेरे में मंत्रालय

खूब पकाये पाग।

लोक-लुभावन नई धुनों से

शहर हुआ है गीला,

महँगी थी लंबी बीमारी

घर का चूल्हा पीला,

होंठों की इन फेफरियों पर

डेरा डाला झाग।

मिला न कोई जहरमोहरा

बदले जो परिभाषा,

आमदनी का साधन पाली

मन में जो प्रत्याशा,

छप्पर की मड़ई में बिहरे

कभी न दीया-फाग।

परिचय-शिवानन्द सिंह का जन्म स्थान-बलिया जिला स्थित सुर्जन छपरा(बैरिया बलिया (उ.प्र.)है। आप लेखन में उपनाम ‘सहयोगी’ लिखते हैं। जन्म तिथि २ जुलाई १९५० है। आप विज्ञान और शिक्षा में भी बलिया से स्नातक हैं। प्रकाशित कृतियों में-एक शून्य(२००५, काव्य संग्रह),जीवन की हलचल, गाँववाला घर(२००७),बिखरा आसमान (२०१०,गजल संग्रह) और शब्द अपाहिज मौनी बाबा (नवगीत संग्रह २०१७)सहित १६ प्रकाशन हैं। ऐसे ही प्रकाशनाधीन में-`भौंचक शब्द अचंभित भाषा`(नवगीत संग्रह) के अलावा `नदी जो गीत गाती है` आदि है। श्री सिंह की साहित्यिक गतिविधियों में त्रैमासिक पत्रिका का सरक्षक सदस्य, साहित्यिक संस्था का आजीवन सदस्य होना और ई-पत्रिकाओं से भी जुड़ा होना है। आप वेब पोर्टल एवं सामाजिक माध्यमों में भी नियमित लेखन करते हैं। आपके संयोजकत्व एवं सम्पादकत्व में स्मृतियों के वातायन (सुप्रसिद्ध भाषाविद(अलीगढ़) स्व.डॉ. कमलसिंह के जीवन पर आधारित संस्मरण),स्मृति समीक्षा एवं मूल्यांकन (स्व.डॉ .सिंह ने यह सिद्ध किया था कि ‘बाबा गोरखनाथ ही हिंदी के प्रथम कवि हैं’ की अप्रकाशित कृतियों का)का प्रकाशन कार्य सम्पन्न हुआ है। आप कुछ विशेषांक में ‘अतिथि सम्पादक’ भी रहे हैं। श्री सिंह की लेखनी से गीत,नवगीत, ग़ज़ल,कविता,मुक्तक ही नहीं दोहे,दुमदार दोहे,कुण्डलिया, क्षणिका,बालगीत एवं कहानी लेखन भी जारी है। आप मंचों से गीतों-नवगीतों का सस्वर पाठ करते रहते हैं। आपकी विविध रचनाएं लखनऊ, गाजियाबाद,मुजफ्फरनगर सहित अलीगढ़-आदि शहरों-राज्यों के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। सम्मान एवं पुरस्कार के रुप में आप करीब 38 मंचों पर सम्मानित हो चुके हैं। इसमें विशेष रुप से ‘राजभाषा हिंदी पखवाड़ा’ काव्य प्रतियोगिता का वर्ष २००६ एवं २००७ का प्रथम पुरस्कार, ‘पुस्तकालय सहयोग सम्मान-२००८’ ,‘लेखक मित्र’ मानद उपाधि से विभूषित, ‘प्रेरणा श्री’ सम्मान(२००९),प्रशस्ति-पत्र,‘राष्ट्रीय प्रतिभा-सम्मान-२०१०’, ‘काव्य-कौस्तुभ’ की मानद सम्मानोपाधि, ‘शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान-२०११’ (उज्जैन),मेघालय से ‘डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान-२०१०’ और २०१७ में नवगीत पुस्तक ‘रोटी का अनुलोम-विलोम’ के लिए ‘डॉ.शम्भूनाथ सिंह स्मृति सम्मान’ हैं। आप हिंदी भाषा के प्रसार और विकास के लिए सतत सक्रिय हैं।

Leave a Reply