पक रही है कविता
श्रीमती संतोष श्रीवास्तव भोपाल (मध्यप्रदेश) *********************************************************************** कविता जिंदगी की, अनिवार्य जरूरत हैl वह सुनती है, आत्मा की आवाज देखती है...l निर्दयी,निर्मम आतंक से एक ही पल में मिटते, पृथ्वी को…
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July 2, 2019