पक रही है कविता
श्रीमती संतोष श्रीवास्तव भोपाल (मध्यप्रदेश) *********************************************************************** कविता जिंदगी की, अनिवार्य जरूरत हैl वह सुनती है, आत्मा की आवाज देखती है…l निर्दयी,निर्मम आतंक से एक ही पल में मिटते, पृथ्वी को दी हर बन्दे के रूप में ईश्वर की सबसे बेशकीमती सौगात कोl बंदूकों की होड़ बमों का जखीरा, आत्मघाती धमाकों से ढेर हुई इंसानियत कोl … Read more