कल,आज और कल

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जो कल हमपे है बीत चुका, उस कल की फिर क्यूँ चाह करें। जो कल हमने देखा ही नहीं, उस कल के लिए क्यूँ आह भरें। है आज हमारे साथ में तो, इस आज को जी भर के जी लें। खुशियों के सागर में डूबें, मस्ती के पैमाने … Read more