सावधान
विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************** बहुत कुछ है जो खल रहा है,दंश मन में कैसा पल रहा है। मौत हाथ पसारे बाज़ार खड़ी,आदमी बेखौफ चल रहा है। जोर नहीं चल पा रहा बीमारी पे,हर कोई हाथ अपने मल रहा है। सुख-चैन गया गई सारी आज़ादी,अंदर ही अंदर आदमी गल रहा है। ‘सावधानी’ अभी खूब रखना ‘विनोद’,खतरा … Read more