काश! मैं भी परिंदा होता…
विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** मैं भी काश परिंदा होता, उन्मुक्त गगन में उड़ता रहता। मैं भी काश... पंख फैलाए अपने दोनों, आसमां को बाँहों में भरता। मैं भी…