हमको न आज़माना
अकबर खान ‘शाद उदयपुरी’ उदयपुर(राजस्थान) *********************************************************** (रचना शिल्प:ग़ैर-मुदर्रफ़ ग़ज़ल-बिना रदीफ़ की) तुम लाख दूर जाओ मगर कुछ भी नहीं होना, हम दोनों साथ रहने की ख़ातिर हुए हैं पैदा। हसरत नहीं हैं मुझको कि महलों में हो ठिकाना, ये आसमाँ चादर हैं मेरी ये ज़मीं बिछौना। पैसे कमाने के लिये क्या-क्या पड़ा है खोना, देखूँ मैं … Read more