चली गिलहरी

डॉ.जियाउर रहमान जाफरी नालंदा (बिहार) *********************************************************************** चली गिलहरी कवि सम्मेलन में एक कविता पढ़ने, थी इच्छा सम्मान की इतनी लगी रातभर रटनेl आई जैसे ही माइक पर भूल गई वो रचना, उलट-पुलट वो पढ़कर आई सही-सही था पढ़नाl वहीं पे था एक बंदर बैठा बोला कवि जी सुनिए, आइंदा जब जाएं कहीं भी लिखकर उसको … Read more

मोटे हो गये

डॉ.जियाउर रहमान जाफरी नालंदा (बिहार) *********************************************************************** खाये इतना सुबह से शाम, मोटे हो गये पतलूराम। नहीं ज़रा-सा अब चल पाते, बैठे-बैठे बस सो जाते। जहां कभी भी वो घर से निकले, पूरा जिस्म कमर से निकले। फिर भी कम कुछ हुआ न खाना, हर शादी में लाज़िम जाना। माँ जब कहती कम कुछ खाओ, दौड़ो … Read more