स्त्री

प्रज्ञा गौतम ‘वर्तिका’ कोटा(राजस्थान) ********************************************* स्त्री… स्त्री-गर्भ से प्रस्फुटित वह अंकुर, जो पुष्पित-पल्लवित हो उठता है बिना सींचे भी, गमक उठता है घर-भर पोसती है वह आँचल की छांव तले पीढ़ियों को, बिना जमाए अपनी जड़ें किसी धरती पर। स्त्री… स्नेह की रेशमी डोर, रेशा-रेशा बिखर कर तिरती रहती है, जाने कितने रिश्तों में जाने … Read more