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स्त्री

प्रज्ञा गौतम ‘वर्तिका’
कोटा(राजस्थान)
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स्त्री…

स्त्री-गर्भ से प्रस्फुटित वह अंकुर,

जो पुष्पित-पल्लवित हो उठता है

बिना सींचे भी,

गमक उठता है घर-भर

पोसती है वह आँचल की छांव तले

पीढ़ियों को,

बिना जमाए अपनी जड़ें

किसी धरती पर।

स्त्री…

स्नेह की रेशमी डोर,

रेशा-रेशा बिखर कर

तिरती रहती है,

जाने कितने रिश्तों में

जाने कितने रूपों में,

भुलाकर अपना स्वत्व।

स्त्री…

एक नदी,

रहती है जब तक किनारों की मर्यादा में

बहती है धीर-गंभीर,

और जब उफनती है तो

आप्लावित कर देती है सर्वस्व,

स्त्री को उकेर सका है कोई कागज़ पर

कितने ही आयामों में फैले,

उसके वजूद कौ नहीं समेट सकते

रंग और शब्द।।

परिचय-प्रज्ञा गौतम का उपनाम-वर्तिका है। इनकी जन्मतिथि १७ मई एवं जन्म स्थान-कोटा(राजस्थान)है। आपका बसेरा कोटा स्थित महावीर नगर में है। शिक्षा- एम.एस-सी.(वनस्पति विज्ञान)तथा बी.एड. है। प्रज्ञा गौतम का कार्य क्षेत्र-व्याख्याता(जीव विज्ञान) का है। सामाजिक गतिविधि में आप पर्यावरण चेतना का प्रसार करती रहती हैं। आपकी लेखन विधा-कविता,कहानी और आलेख है। पुस्तक प्रकाशन अभी प्रक्रिया में है। 
अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानियां, कविताएं और लेख प्रकाशित हुए हैं। बात आपको मिले सम्मान की हो तो जिला स्तरीय सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सम्मान- २००६ सहित काव्य विभूति सम्मान(महू) प्रमुख हैं। इधर उपलब्धि-दो वर्षीय अल्प काल में विज्ञान लेखिका के रुप में पहचान कायम होना है। प्रज्ञा जी की लेखनी का उद्देश्य-संदेशपरक एवं सार्थक लेखन करते रहना है। विशेषज्ञता विज्ञान कथा और बाल कथा लेखन में है। जीवन में प्रेरणा पुंज-पिता के.एम.गौतम तथा  गुरुजन सर्वश्री आर.सी. चित्तौड़ा, के.एम.भटनागर और पूर्व राष्ट्रपति- वैज्ञानिक डॉ. ए. पी.जे.अब्दुल कलाम हैं। स्वयं की अनेक रचनाओं में से ‘एक खेत की कहानी’ खुद को बहुत पसंद है।

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