सृष्टि की जादूगरी
डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************************** यह सुबह,पंछियों की चहचहाहट,कुछ बोलती गाती यह कोयलचहकती,फुदकती यह गोरैया,कोयल इन दिनों,कुछ ज़्यादा हीकुंहुकती है।कभी लगता है उसकी,कुहू-कुहू से चीख-चुभनमचाती है।दिनभर यह रंग-बिरंगी,छोटी-सी चिड़िया जाने किससेबतियाती…
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May 29, 2020