दर्द पर दर्द
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* जिंदगी रोप दी मैंने घने अभावों में,दर्द पर दर्द की मरहम लगाई घावों में। राह कोमल दिखी मुझको तमाम मंजिल तक,चल पड़ी तब लगा शीशे चुभे हैं पावों में। कुछ सवालों के हल निकले तो जिंदगी सँवरी,कुछ सवालात ही उठते रहे जवाबों में। तेरे ही हुक्म से होते हैं रात-दिन मेरे,मेरी हर साँस … Read more