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नवरुप की महिमा अपरम्पार

रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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मातृ शक्ति,नवरुप की महिमा अपरम्पार,
माता के नवरूप से,संचारित नर-नार।

प्रथम दिवस हम पूजते,माता शैलपुत्री,
ऊर्जा की यह दायिनी,पर्वतराज की पुत्री।

द्वितीय रूप माता का,है ब्रम्हचारिणी,
त्याग-तपस्या की देवी,हस्त कमण्डल धारिणी।

चंद्रघंटा रुप है,माता का तृतीय,
अस्त्र-शस्त्र धारण किए,अद्भुत-अद्वितीय।

चतुर्थ दिवस अवतरित हों,कुष्मांडा माता,
सूर्य-गर्त में निवास है,दीर्घायु की दाता।

स्कंदमाता माँ का रुप है,पंचम और निराला,
कमल-पुष्प पर आसीन हैं,गोद स्कंद है बाला।

षष्ठ दिवस दर्शन देतीं,देवी कात्यायनी,
चार भुजाओं वाली माँ,धर्म-मोक्ष की दायिनी।

कालरात्रि का रुप है,माता का सप्त,
विकराल रुप माता का,करता भय से मुक्त।

अष्ट दिवस हम पूजते,गौर वर्ण महागौरी,
मनोकामना पूर्ण करें,वृषभ की करती सवारी।

सिद्धिदात्री का रूप ले,माँ आती नौवे दिन,
चक्र-गदा धारण किए,फल देती माँगे बिन।

नवरात्रि के नौ दिन,होते अति उत्तम,
भूल-चूक बिसराना माँ,विनती करते हम॥

परिचय-रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।