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मानव और ‘कोरोना’

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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क्यूँँ मानव का संहार हुआ,दानव-सा अत्याचार किया,
‘कोरोना’ विषाणु ने आकर,क्यूँ मानव पर ही वार किया।
क्यूँ मानव…

सब चौक-चौराहे सूने हैं,शहरो गाँवों में वीरानी है,
रस्तों-गलियों की रौनक पर,इसकी दहशत ने वार किया।
क्यूँ मानव…

साँसों से जाकर जिस्मों में,रोकी साँसें ही जिस्मों की,
इक जिस्म से दूजे,तीजे फिर कितनों पर इसने वार किया।
क्यूँ मानव…

मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे,इसके कारण सुनसान हुए,
दिन नवरात्रों के देश में हैं,आस्थाओं पर भी प्रहार किया।
क्यूँ मानव…

मानव की ही तो धरोहर हैं,पशु,पक्षी,हर प्राणी,
उन पर भी तो इस कोरोना ने,जालिम-सा अत्याचार किया।
क्यूँ मानव…

स्वच्छता रखना हाथ धोते रहना,ठण्डा न खाना-न पीना,
रहो घर में सारे अकेले ही,ये समझो इसका उपचार किया।
क्यूँ मानव…

ओ गांव शहर देश के लोगों, खुदमें रहना, खुदसे कहना,
इसको न बदलने देंगे जगह,वैसे ही मरे जैसा वार किया।

क्यूँ मानव…का संहार हुआ,दानव-सा अत्याचार किया,
कोरोना’ विषाणु ने आकर,क्यूँ मानव पर ही वार किया॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।