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मजदूर की व्यथा

शिवांकित तिवारी’शिवा’
जबलपुर (मध्यप्रदेश)

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पैदल चलकर नाप रहे ख़ुद सड़कों की लंबाई,
भूखे प्यासे बच्चों के संग मज़बूरी में भाई।

नंगे सूजे पैर जल रहे,
बिना रुके दिन रात चल रहे।
भूख की खातिर छोड़ा था घर,
गाँव छोड़ आए थे वो शहर।

भूख के कारण अब उनकी है पेट से स्वयं लड़ाई,
रक्तरंजित सड़कें और पटरियां।
चल रहे पैदल ही लेकर गठरियां,
पटरियों पर है पड़ी रह गई भूख…
रोटियां भी गई पटरियों पर सूख॥

पैदल चलते-चलते उनके पाँव में फटी बिवाई,
खून के आँसू रोते चलते।
बच्चों को कंधों पर टांगें,
सड़कों को आँसू से धोते…
घर को निकले सभी अभागे॥

घर पर बैठा आस लगाए बूढ़ा बाबा बूढ़ी माई,
क्या करते शहरों में रहकर।
चूल्हा कैसे उनका जलता,
नहीं कोई रोजगार बचा जब…
फिर पेट सभी का कैसे पलता॥

कोई भी सरकार नहीं कर पाई जख़्मों की भरपाई,
नहीं कोई सरकार सहायक।
सिस्टम से सबके सब हारे,
बिखर गए सबके सपने अब…
भूख से तड़प,मर रहे बेचारे॥

मिलकर सबको करनी है सबकी रक्षा और भलाई,
संकट के इस दौर में उनकी।
मदद करें आओ हम मिलकर,
सबसे पहले है मानवता तो…
अब शुरुआत करें सब मिलकर॥

पैदल चलकर नाप रहे ख़ुद सड़कों की लंबाई,
भूखे प्यासे बच्चों के संग मज़बूरी में भाई॥

परिचय–शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।

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