कुल पृष्ठ दर्शन : 157

गुरु-शिष्य परम्परा की जीवंतता के लिए नई क़लम ने लगाई ‘काव्य की पाठशाला’

इंदौर (मप्र.)।

गुरु,शिक्षक,प्रशिक्षक ये सभी पर्याय उस विराट व्यक्तित्व को संबोधित करते हैं,जो हमारे जीवन में निर्णायक भूमिका निभाते हुए हमें योग्य बनाते हैं। इसी गुरु-शिष्य परम्परा को पुन: जीवंत करने का प्रयास करते हुए संस्था नई क़लम द्वारा ‘काव्य की पाठशाला’ का शुभारंभ किया गया।
संस्था उपाध्यक्ष कवि विनोद सोनगीर ने बताया कि ‘काव्य की पाठशाला’ के अंतर्गत साहित्य क्षेत्र के मनीषी एवं साहित्यिक विधाओं में पारंगत अनुभवी वरिष्ठ कलमकारों को आमंत्रित कर काव्य के नीति-नियमों को सीखने हेतु कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इस नव विचार का शुभारंभ दोहा(मात्रिक छंद)कार्यशाला के रूप में किया गया। सप्ताहभर चली इस कार्यशाला में प्रशिक्षक-मार्गदर्शक के रूप में वरिष्ठ क़लमकार राम शर्मा ‘परिंदा’ और जगदीश चौहान उपस्थित रहे। इस ऑनलाईन कार्यशाला में संस्था के नवांकुर क़लमकार रविराज,महेन्द्र कुमार जैन,डॉ. विमल कुमार, सरिता चौहान,पूनम आदित्य,विनोद सोनगीर, नितेश कुंभकार,आतिश इंदौरी,तनिषा सांखला एवं जितेन्द्र राज आदि सदस्यों ने भाग लिया। कार्यशाला के अंतिम चरण का संचालन कवियित्री पूनम आदित्य ने किया।
आपने बताया कि,संस्था द्वारा प्रशिक्षक द्वय को सम्मान-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

Leave a Reply