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प्रेम में है जीवन

रूपेश कुमार
सिवान(बिहार) 
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‘प्रेम’ में है जीवन की सब खुशियाँ यहाँ,
प्रेम में है जीवन की सब दुनिया यहाँl

प्रेम में है जीवन की सब रुसवाईयाँ,
प्रेम में है जीवन की सब रंगरेलियाँl

प्रेम में है जीवन की परिकल्पना,
प्रेम में शामिल है हर आत्माl

प्रेम में है हर दीवानगी,
प्रेम में है हर आवारगीl

प्रेम में है जीवन का पागलपन,
प्रेम में है जीवन की अभिकल्पनाl

प्रेम में है जीवन की हर सच्चाई,
प्रेम में भूली जीवन की कटुताईl

प्रेम में कोई तोड़ता है चाँद-तारे,
प्रेम में हर एक देखता मीठे सपने।

प्रेम में समाया भौतिकवाद,
प्रेम है अबूझ,भाषा ज्ञानl

प्रेम की परिभाषा सभी हैं ढूँढते,
प्रेम परिभाषाओं का विज्ञान हैl

सारे संसार में प्रेम सर्वोपरि है,
प्रेम में जीवन का सारा आध्यात्म॥

प्रेम के बोल पर सभी लुटते यहाँ,
प्रेम के नाम पर सभी मरते यहाँl

प्रेम में यहाँ भगवान का वास है,
प्रेम ना हिंदू,सिख,मुसलमान हैl

प्रेम सभी ग्रंथों में भी सर्वश्रेष्ठ है,
प्रेम शब्दकोश का सबसे पवित्र शब्द हैl

प्रेम करने से अभी तक ना हुआ है,
बिन जाने-अनजाने में ही होता प्रेम हैl

प्रेम में ना कोई जाति-धर्म होता,
प्रेम में ना कोई रंग-रुप होता हैl

प्रेम में हर कोई अंधा होता है,
प्रेम में हर कोई दार्शनिक होता हैl

प्रेम के बल पर कोई तुलसीदास बन गया,
प्रेम के बोल पर कोई कालिदास बन बन बैठाl

प्रेम के बोल पर कोई हीर-राँझा बन गया,
प्रेम के बोल पर कोई देवदास-पारो बन गया!

प्रेम है दुनिया का एक ऐसा शब्द,

प्रेम के नाम पर लोग अपनी दुनिया लुटा दे रहेll

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