ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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श्वांस-श्वांस सुगन्ध-सी,
स्पर्श कोमल पुष्प-सी
नारी क्या है तू ये बता!
नारायणी या रूपसी।
नर कभी बना देव,
बना कभी कालिदास
कभी सती का शिव है,
बना कोई सुकरात।
कोई बना रावण तो,
है कोई बना तुलसी
कोई वध न सका था,
तू बनी है देव शक्ति।
वो तुझी पर हँसते,
है तुमको ही तकते
विमोही कभी मोह में,
मोहित हो भटकते।
तुझसे रहे किनारा,
फिर तेरा ही सहारा
जीये जीवन तुझमें,
है कभी तुझसे हारा।
माँ रूप तेरा जग में,
दमकता-चमकता।
नारी के हजार रूप,
चंदन-सा महकता॥
परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।