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‘तुलसी’ सूर्य निराला है

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष

जन-जन के जीवन को जिसने,
मर्यादा में ढाला है।
अंधकार को रोशन करता,
तुलसी सूर्य निराला है॥

रामचरित मानस लिख करके,
इस जग पे उपकार किया।
सद्विचार सत्यपथ दिखलाकर,
कुरीतियों पे वार किया॥
निर्भय किया,स्वयं भू रब की,
सत्ता से इनकार किया।
कर साकार ब्रह्म की पूजा,
धर्मनिष्ठ व्यवहार किया॥
दिल में राम बसाकर सबको,
राममयी कर डाला है।
अंधकार को रोशन करता,
तुलसी सूर्य निराला है…॥

मात-पिता का सुख बचपन में,
खोकर दुःख उठाए हैं।
दर-दर की ठोकरें सहन कर,
घावों को सहलाए हैं॥
पर पीड़ा समझी परहित में,
अपने कदम जमाए हैं।
मंजिलों के कदम यूँ ही खुद,
उनकी जानिब आए हैं॥
गुरु तलाशे खुद चेले को,
ऐसा वो मतवाला है।
अंधकार को रोशन करता,
तुलसी सूर्य निराला है…॥

बिना कृपा के ‘अनन्त’ कोई,
कब महान बन पाया है।
तुलसी पर रब की रहमत का,
रहा हमेशा साया है॥
प्रभु दर्शन नश्वर जीवन में,
पाकर जो हर्षाया है।
सफल वही तो जीवन लोगों,
सफल वही तो काया है॥
मथनी कलम बनाकर जिसने,
मक्खिन सदा निकाला है।
अंधकार को रोशन करता,
तुलसी सूर्य निराला है॥

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