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भारत को वंदन करता हूँ

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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मैं राष्ट्र वंदना करता हूँ शब्दों के सुमन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से।

ये तपोभूमि है ऋषियों-मुनियों की वाणी से,
पाप मिटता गंगा,यमुना के अमृत पानी से।

प्रेरणा मिलती बलिदान वीरों की कहानी से,
भारत की वंदना करता हूँ अमर निशानी से।

ये जीवन काम आता है कभी राष्ट्र जीवन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से।

पहचान गीता का उपदेश वेदों का ज्ञान से,
यहाँ शांति मिलती देवताओं और भगवान से।

सबका पेट भरता यहाँ किसान अपने धान से,
गगन में लहराता तिरंगा अपनी ही शान से।

इस माटी को नमन करता हूँ मैं तो तन मन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से।

आध्यात्मिक का संदेश जाता भारत धाम से,
भूमि महान हुई मर्यादा पुरुषोत्तम राम से।

कण-कण में प्रेम बसा ग्वाल राधिका घनश्याम से,
देश भारत महान हुआ जवान किसान नाम से।

मैं वंदना का स्वर गाता हूँ शब्दों के वंदन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैL वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैL यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।