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युद्ध बड़ा हरजाई

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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भारत और चीन के रिश्ते स्पर्धा विशेष……

दिल के आँगन में लालच ने,
ही दीवार उठाई है।
अगर विश्व परिवार हमारा,
चीन हमारा भाई हैll

अगर कोई सत्तर सालों के,
रिश्तों को अपने तौले,
सच्चाई आएगी सम्मुख
बिना हमारे कुछ बोलेl
चीन रहा विस्तारवाद का,
पोषक सब ये जान रहे,
बेईमान बला का उसको,
सभी पड़ोसी मान रहे।
बिना बात झगड़े ही झगड़े,
ये कड़वी सच्चाई है,
अगर विश्व परिवार हमारा,
चीन हमारा भाई है…ll

रिश्ते भारत और चीन के,
हवा सरीखे पाये हैं,
हवा देख कर वादे जिसने
रक्खे या झुठलाए हैं।
अपने मतलब के खातिर वो,
छल-बल का उपयोग करे,
आँख दिखाए धौंस जमाए
झोली अपनी सिर्फ भरे।
दानवता से सदा करीबी
लोगों जिसे सुहाई है,
अगर विश्व परिवार हमारा,
चीन हमारा भाई है…ll

नेक पड़ोसी हो या पत्नी,
जीवन को खुशहाली दे,
बुरा यदि मिल जाए कोई,
हरदम रातें काली दे।
घर हो यदि पड़ोस बदल लें,
कहां देश को ले जाएं,
स्थायी न्यूसेंस जो हिस्से,
आए कहाँ सुकूं पाएं।
समझौता है समाधान बस
इसमें छिपी भलाई है,
अगर विश्व परिवार हमारा
चीन हमारा भाई है…ll

रिश्ते तो रिश्ते होते हैं
गाँठ नहीं वो,जो खोलें,
कितनी करें दुश्मनी बोलो
कितना मन में विष घोलें।
कद्र करें जब रिश्तों की सब,
जीवन सुरभित हो जाए,
तेरा तू मेरा मैं खाऊँ
उसका हिस्सा वो खाए।
कौन यहाँ कम,इसे समझ लें
युद्ध बड़ा हरजाई है,
अगर विश्व परिवार हमारा,
चीन हमारा भाई हैll

अनन्त सामाजिक प्राणी हम,
एक-दूसरे पर निर्भर,
देश सभी यूँ जुड़े हुए हैं
बुनी हुई जैसे चादर।
कोई देश अकेला कब अब,
संन्यासी बन जीता है,
अन्न अगर अपना खाता है,
नशा विदेशी पीता है।
बहिष्कार क्या कोई हल है,
ये तो जगत हँसाई है,
अगर विश्व परिवार हमारा,
चीन हमारा भाई हैll

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