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जल…सबकी प्यास बुझाए

ऋचा सिन्हा
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

जल से पूछो उसका भोलापन,
जिधर डालो उस जैसा बन जाए
विशालकाय बन सागर में
क्रियाशील हो जाए।
लहरें बन के चमक-दमक कर,
हाहाकार मचाए
ठहर जाए कुएँ में जाकर,
शांति पाठ पढ़ाए।
जब कभी नदिया में जाए,
लहरा-लहरा के बहता जाए
कभी ओस बन शीतलता दे
कभी ओला बन जाए।
बरखा ऋतु में बरस-बरस कर,
हरियाली फैलाए
कभी पहाड़ों पर जम कर,
बर्फीला हो जाए।
कभी बादल बन आसमान में,
काली घटा बन जाए
जल ही जीवन जल-सा जीवन,
सबकी प्यास बुझाए।
और कभी जब दुःख आए,
आँसू बन के बह जाए…॥

परिचय – ऋचा सिन्हा का जन्म १३ अगस्त को उत्तर प्रदेश के कैसर गंज (जिला बहराइच) में हुआ है। आपका बसेरा वर्तमान में नवी मुम्बई के सानपाड़ा में है। बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी साहित्य में रुचि रखने वाली ऋचा सिन्हा ने स्नातकोत्तर और बी.एड. किया है। घर में बचपन से ही साहित्यिक वातावरण पाने वाली ऋचा सिन्हा को लिखने,पढ़ने सहित गाने,नाचने का भी शौक है। आप सामाजिक जनसंचार माध्यमों पर भी सक्रिय हैं। मुम्बई (महाराष्ट्र)स्थित विद्यालय में अंग्रेज़ी की अध्यापिका होकर भी हिंदी इनके दिल में बसती है,उसी में लिखती हैं। इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में छप चुकीं हैं,तो साझा संग्रह में भी अवसर मिला है।