उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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अंगना में आए गणराजा श्रीगणेश,
रिद्धि-सिद्धि के संग गौरा श्रीमहेश
फूलों की हो रही झर-झर बारिश,
गौरा के लाल की छवि सुंदर गणेश।
प्रथम पूज्य है इनके लिए माता-पिता,
जगत भ्रमण का आदेश सुनते सोचा
मेरे माता-पिता मेरे आराध्य हैं सोचा,
इनको नमन कर घूमे प्रथम थे पहुंचा।
माता-पिता की सेवा आशीर्वाद मिला,
चतुर्थी शुक्ल पक्ष वरदान पिता मिला
धूमधाम से हर वर्ष विराजे घर शिला,
पावन पर्व की धूम मची श्रीगणेश लला।
कोढ़ी काया-निर्धनता सबको दूर किया,
अंधन की आँखों में उजाला तुमने दिया
विपदाओं को हरने वाले तुम हो भैया,
सबकी सुनने वाले देते सुंदर हैं काया।
गणपति बप्पा मोरया गूंजे जयकारा,
चहुँओर गणराजा की ध्वजा फेरा
लाल बाग के राजा, दु:ख सब है टारा,
तुम ही बने जगत की आँखों का तारा।
सुंदर छवि तुम्हारी है लम्बोदर दादा,
भारी काया मोदक भोग तुमको सदा
प्रिय भोग है गन्ना-लड्डू सदैव ही चढ़ा,
प्रसन्न होते पल सबकी भक्ति से सदा।
तुम्हारी आराधना से दुर्लभ दर्शन पाते,
महिमा अपरंपार तुम्हारी आशीष पाते।
कंदली फल-फूल और दूवा सब चढ़ाते,
उर से वंदना कर रिद्धि-सिद्धि सब पाते॥