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अमेरिका में बही गंगा-जमुनी मुशायरे की धारा

मैरीलैंड (अमेरिका)।

मैरीलैंड के भव्य सभागार में शनिवार को गीत, ग़ज़ल, कविता और नज़्मों की बहार छाई। इसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार हरीश नवल ने की।
अलीगढ़ एल्युमिनी एसो. के तत्वावधान में इसमें २३ रचनाकारों ने कुल ६५ रचनाओं का पाठ किया।अध्यक्ष ने कहा कि पहली बार किसी मुशायरे में हिंदी और उर्दू की इतनी रचनाओं को सुन कर अच्छा लगा कि अमेरिका में गंगा-जमुनी तहजीब का अभिनंदन होता है और भारत, पाकिस्तान, अरब और अमेरिका के रचनाकारों को बड़े मन से सुना जाता है।
संयोजक ज़फ़र इक़बाल और संचालक नवाब मोहम्मद अकबर ने बहुत सुचारू ढंग से ४ घंटे चले इस आयोजन का प्रबंधन किया। इसमें डॉ. अब्दुल्ला ‘अब्दुल्ला’ का भी बड़ा हाथ रहा। भारतीय दूतावास के प्रथम सचिव भी सम्मिलित हुए और शुरूआत अब्दुल्ला जी से हुई। उन्होंने शहरीकरण के आगे प्रकृति कैसे झुकने लगी विषयक नज़्म पढ़ी। डॉ. ठाकर ने लफ़्ज़ों के ज़ेवर और तबस्सुम जी ने चेहरों की भीड़ में चेहरा न मिलने की बात रखी। प्रीति गोविन्दराज ने शहर की लड़की के गाँव की लड़की की भाँति शरमाने की उपमा देकर सदन को खुशनुमा किया। नरेन्द्र टंडन साहिल, आरिफ़ साहिब, उदय कामथ, विनीता तिवारी ने भी रचनाएँ प्रस्तुत की। डॉ. आस्था नवल ने रिश्तों पर लगे पैबंदों को रेखांकित किया। इनके अतिरिक्त डॉ. सबा,रिज़वान अली, निशा नारायण, डॉ. रवि रज्जब, आरिफ़ जी और परवेज़ भाई आदि ने भी बेहतरीन रचनाएँ पेश कीं।

अध्यक्ष होने के नाते हरीश नवल ने सभी रचनाओं की संक्षिप्त समीक्षा की और अपनी एक लंबी कविता ‘हम दोनों’ सुनाई, जिसमें राजनीति को मानवता से संबद्ध होने के संकेत थे।