व्याख्यानमाला..
दिल्ली।
आचार्य श्री के साथ गुरु शिष्य परम्परा में बिताए गए वर्ष उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय था। आचार्य द्विवेदी की साहित्य शैली के विभिन्न पक्षों से सबको अवगत होना चाहिए।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने आचार्य जी के जीवन के अनछुए पहलुओं की जानकारी देते हुए यह बात कही।
अवसर रहा हिंदी साहित्य के अग्रदूत आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी को राजधानी दिल्ली में याद किया जाना, जो सभी हिंदी प्रेमियों के लिए बेहद उत्साहवर्धक रहा।आचार्य श्री की ११९वीं जयन्ती पर यह आयोजन इसलिए महत्वपूर्ण बन गया, क्योंकि इसमें दिल्ली विवि के पूर्व प्रो. डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी को सुनना उपस्थितों के लिए प्रसाद से कम नहीं था। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट के तत्वाधान में यह आयोजन शनिवार को दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में किया गया। श्री द्विवेदी के प्रसिद्ध निबन्ध ‘अशोक के फूल’ पर आयोजित इस व्याख्यानमाला में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. त्रिपाठी, रांची विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. विंध्यवासिनी नन्दन पांडेय, दिल्ली विवि के प्रो. विनय विश्वास भी सम्मिलित हुए। अध्यक्षीय संबोधन राज्यसभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश ने दिया और कहा कि आचार्य द्विवेदी हिन्दी सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत थे। वे एक ना बुझने वाली ज्योत स्वरूप थे।
इस अवसर पर ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन और डॉ. विंध्यवासिनी पाण्डेय द्वारा लिखित पुस्तक ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी:विचारकोष’ का लोकार्पण किया गया। ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ. अपर्णा द्विवेदी ने कार्य योजनाओं की जानकारी दी। अतिथियों का स्वागत अभय पाण्डे ने किया।