कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर (बिहार)
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सुबह सवेरे, नंगे पाँव चल के,
आया है तेरे द्वार, ओ बाबा मेरे।
भक्तों की लंबी कतार, ओ बाबा मेरे।
भक्तों की…॥
कांधे पर कांवड़, लेकर आए,
मधुर स्वर में, जयकार लगाए।
दर्शन तो दो एक बार, ओ बाबा मेरे।
दर्शन तो दो एक बार,…॥
जटा में आपके, गंगा बिराजे,
मस्तक पर अद्भुत, चंद्रमा साजे।
हो कोटि नमन स्वीकार, ओ बाबा मेरे।
कोटि नमन स्वीकार…॥
आप हैं बाबा, औघड़दानी,
बाएं अंग में, सोहे भवानी।
शक्ति अपरम्पार, ओ बाबा मेरे।
शक्ति अपरम्पार…॥
दुखियों के बाबा, दुःख निवारे,
भक्तन के सारे,काज संवारे।
निराधार के आधार, ओ बाबा मेरे।
निराधार के आधार…॥
काव्या खड़ी कब से, द्वार तुम्हारे,
हाथ जोड़ बाबा, तुझको पुकारे।
पूजा करो स्वीकार, ओ बाबा मेरे,
पूजा करो स्वीकार…॥