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करारे भारतीय जवाब से तिलमिलाते ट्रम्प

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के साथ अपनी बरसों पुरानी दोस्ती और साथ को प्रमुखता देते हुए ट्रम्प के कर (टैरिफ) दबाव का करारा जवाब दिया है। भारत ने पूरी ताकत के साथ फिर साफ कर दिया है, कि भारत दुनिया के चौधरी बने अमेरिका के किसी दबाव और धमकी में नहीं आएगा। राष्ट्रपति ट्रम्प की दूसरी धमकी पर विदेश मंत्री जयशंकर और रूस ने ऐसा करारा जवाब दिया है कि मोदी जी का ‘देश पहले’ का संकेत सब समझ गए हैं।

दरअसल, विश्व चौधरी बनने की लालसा पाले राष्ट्रपति ट्रम्प सारे रिश्ते बिगाड़ कर मनमर्जी थोपने में लगे हुए हैं। इसी चक्कर में भारत में अपने उत्पाद खपाने की आड़ में ये नया राग अलापना शुरू कर दिया है, कि वो कुछ देशों पर कर इसलिए बढ़ा रहे हैं, क्योंकि वे रूस के साथ व्यापार करते हैं, जो यूक्रेन पर हमले बंद नहीं कर रहा है। ऐसे देशों में चीन के अलावा भारत भी अमेरिकी राष्ट्रपति की नजरों में है, पर डोनाल्ड ट्रम्प स्वयं भूल गए कि रूस से वो भी खरीदी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने ट्रम्प को जब यह आइना दिखाया और साफ कर दिया कि नए भारत को झुकना नामंजूर है तथा भारत पहले की तरह रूस का साथ देगा तो ट्रम्प ने दोहरी चाल चलते हुए व्यापार और हथियारों के सौदों के नाम पर भारत पर २५ फीसदी कर को बढ़ाकर ५० कर दिया है।
दरअसल, भारत के प्रधानमंत्री को कमजोर-हल्का समझने वाले चौधरी जी इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं, कि भारत रूस से अरबों ₹ का व्यापार कर रहा है और उससे तेल-हथियार खरीद रहा है, क्योंकि नरेंद्र मोदी से दोस्ती की आड़ में यह ऐसा समझ बैठे कि भारत आसानी से अमेरिका के कृषि और डेयरी आधारित मांसाहारी उत्पादों को बेचने के लिए अनुमति दे देगा, लेकिन भारत के कृषक हित में श्री मोदी ने इससे मना कर दिया तो ट्रम्प सरकार को बुरा लग गया। बस वही गुस्सा २५ से ५० फीसदी कर थोपना है। इस हरकत पर भारतीय विदेश मंत्री ने भी यूएस को मुँहतोड़ जवाब दिया है, साथ ही भारत के अभिन्न मित्र रूस के विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिका की नीतियों पर तीखा हमला किया है।
कुछ देशों, नेताओं और लोगों को ऐसा लग रहा है कि ट्रम्प से मित्रता और दबाव में रूस से भारत दोस्ती तोड़ देगा, लेकिन करारे जवाब से सब समझ चुके हैं कि अमेरिका भले ही कोई-सी भी कूटनीति खेल ले, मोदी जी को राष्ट्र हित में झुकाना असम्भव है। ट्रम्प की कर धमकी पर भारत का यह बोलना “नहीं तोड़ेगा रूस का भरोसा” इसका सबूत है। अमेरिकन कर पर भारत का तगड़ा जवाब इसका उत्तर है। रूस के साथ मित्रता क़ायम रखते हुए भारत का यह व्यवहार अमेरिकी एकाधिकार पर कड़ी चोट है। नरेंद्र मोदी की ‘देश पहले’ नीति को सामने करके भारत ने जो मोर्चा खोला है, उससे ट्रम्प की कर थोपने के मामले में सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई है। वह बार-बार कह रहे हैं-“मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ़ में काफ़ी वृद्धि करूंगा।” तो मजबूर होकर इसके उत्तर में भारत को सख्त बात कहनी ही पड़ी है।
भारत ने स्पष्ट कहा कि रूस से तेल खरीद को लेकर यूरोपियन यूनियन और अमेरिका द्वारा लगातार भारत को लक्षित किया जा रहा है। असल में संघर्ष शुरू होने के बाद परम्परागत आपूर्ति को यूरोप स्थानांतरित करने के बाद ही भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू किया था। उस वक्त अमेरिका ने भी ग्लोबल एनर्जी मार्केट की स्थिरता के लिए भारत द्वारा की जा रही इस आयात की तारीफ की थी, तो अब क्या हुआ ? अब भारत ने अमेरिका को कौन-सी सुई चुभो दी ?
चीन सहित अनेक देशों से इस मुद्दे पर अपनी आलोचना करा चुके ट्रम्प अभी भी अपनी हठ पर अड़े होकर भारत पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें उन्होंने यह तक कहा कि “भारत को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इस वजह से मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में काफी बढ़ोतरी करूंगा।” शायद डोनाल्ड ट्रम्प की याददाश्त कमजोर है, क्योंकि भारत ने उक्त युद्ध को रोकने के लिए काफी प्रयास किए थे। इसके बावजूद अमेरिका सरकार के इस दोहरे व्यवहार पर भारत सरकार ने अमेरिका को उसी भाषा में जवाब देकर आईना दिखा दिया है। इससे पूरा दृश्य अब साफ है कि नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के लिए देश हित-कृषि हित सबसे पहले है एवं मोदी जी राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने, किसानों, श्रमिकों, उद्यमियों, निर्यातकों, एमएसएमई तथा उद्योग जगत के सभी हितधारकों की रक्षा और संवर्धन को सर्वोच्च महत्व दे रहे हैं।
भारत को ऐसे डराने में भी असफल अमेरिका और ट्रम्प महाराज कैसे भूल गए कि वो भी तो रूस से अपनी न्यूक्लियर इंडस्ट्री के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लूराइड का एवं ईवी इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, फर्टिलाइजर और केमिकल्स का भी व्यापार करते हैं।
कहना अनुचित नहीं होगा कि भारत के बाजार में स्वयं को स्थान नहीं मिलने से ट्रम्प का अहंकार सिर चढ़ कर बोल रहा है। इसी लिए भारत को आगे बढ़ते हुए रोका जा रहा है, जो वैश्विक नीति से बिल्कुल गलत कदम और स्वयं के संबंधों को खराब करना है। ऐसे में हर बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह भारत को अपने राष्ट्र हित और आर्थिक सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने की पूरी आजादी है, क्योंकि ट्रम्प की जबरन ‘बाजी’ पर नरेंद्र मोदी झुकने वाले तो हैं नहीं।