सोनीपत (हरियाणा)।
राष्ट्रप्रेम, हिन्दी भाषा व सद्साहित्य के संरक्षण हेतु संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था (सोनीपत) द्वारा आयोजित २०८वीं साप्ताहिक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी श्रद्धा और भक्ति भाव से अनुप्राणित रही। इसमें आस्था के स्वर के साथ जम कर भक्ति रस बरसा।
संस्था की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि गोष्ठी में प्रस्तुत रचनाएँ श्री गणेश, भगवान शंकर, श्री राधा-कृष्ण, सिया-राम एवं माता जगदम्बा की भक्ति से ओत-प्रोत रहीं। यह अवसर भारत-चीन युद्ध के अमर बलिदानी कैप्टन बाबा हरभजन सिंह को नमन करने, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने, वैश्विक भगिनी दिवस एवं विश्व मैत्री दिवस की मंगल कामनाएँ व्यक्त करने का भी रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता वाराणसी (उप्र) के साहित्याचार्य पं. अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ ने की। मुख्य आतिथ्य प्रयागराज की विदुषी साहित्यकार शालिनी बसेड़िया दीक्षित ने निभाया। शुभारंभ नागपुर (महाराष्ट्र) के वरिष्ठ साहित्यसेवी विजय रघुनाथ राव डांगे की संगीतबद्ध गुरु वंदना, गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम में सुनील कुमार खुराना, डॉ. श्याम बिहारी मिश्र, संपत्ति चौरे ‘स्वाति’, प्रमोद पटले, श्री डांगे, डॉ. पंकज कुमार बर्मन, ‘मधुप’, भगवानदास शर्मा ‘प्रशांत’, दीदी राधाश्री शर्मा व पवनेश मिश्र ने काव्य पाठ किया। प्रख्यात कवयित्री डॉ. मंजू शकुन खरे ने काव्यकृति ‘विहंसती है चंद्रिका’ को प्रभु श्री राधा गोपीनाथ जी के श्रीचरणों में अर्पित कर भावमयी प्रस्तुति दी।
अध्यक्षीय उद्बोधन में ‘मधुप’ ने गोष्ठी को ‘भक्ति की दिव्य साधना’ निरूपित करते हुए संयोजन की भूरि-भूरि सराहना की। अतिथि शालिनी बसेड़िया ने श्रीकृष्ण भजन से समां बाँधते हुए संस्था के साहित्यिक प्रयासों को संस्कृति संवर्धन का महायज्ञ बताया।
संचालन का दायित्व आशुकवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ एवं पवनेश मिश्र ने निभाया। संस्थापक दीदी राधा श्री शर्मा ने सभी साहित्यकारों एवं दर्शकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।