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काव्य चौपाल में हुई सुंदर प्रस्तुतियाँ

दिल्ली।

अन्तरराष्ट्रीय विश्व मैत्री म॔च की दिल्ली इकाई की जुलाई मास की काव्य चौपाल मंच की सदस्य प्रो. रानी श्रीवास्तव के गुड़गांव स्थित आवास पर हुई। अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. संजीव कुमार ने की।
शुभारम्भ रेणु मिश्रा की स्वरचित सरस्वती वंदना “नमामि भाव स्रोत को नमामि मातु भारती…” से हुआ। इसके बाद शारदा मित्तल ने गुरु को याद करते हुए रचना का पाठ किया ,-“बिना गुरु किरपा यहाँ किसको मिलता ज्ञान। गुरु के ही आशीष से जीवन होत विहान।।” आयोजनकर्ता रानी श्रीवास्तव ने बुद्ध से सवाल करती रचना-“ठहरो बुद्ध, जरा सुनो, बस, एक सहज प्रश्न…!”सुनाई। नलिनी भार्गव आदि ने भी रचना सुनाई। सभी के कविता पाठ के बाद खूब तालियाँ बजती रहीं, जिससे पूरा वातावरण काव्यात्मक हो उठा।
.सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजेश्वर वशिष्ठ ने उर्मिला के दर्द को बयान करती अपनी रचना का पाठ किया-
“उर्मिला, मैं तुमसे क्षमा चाहता हूँ बिना उस अपराधबोध से मुक्त हुए
जो पुरुष ने सदा ही दिया है स्त्री को।”
अध्यक्षीय उद्बोधन में संजीव कुमार ने पढ़ी गई कविताओं पर सार्थक टिप्पणी की। आयोजन संचालिका प्रीति मिश्रा ने भी पाठ किया। रानी श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।