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किससे कहें, कौन सुनेगा…?

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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पल-पल शोर करे जियरा फिर भी हम तो थिर मौन रहे,
हलचल भीतर में अति लेकिन छोड़ हटा, अब कौन कहे ?

लिख-लिख कागद स्याह हुआ मन पृष्ठ सभी पर रिक्त रहा,
मिलकर चोट दिया सबने अपने यह कारज लिप्त रहा,
बुझ थक-हार गए सब मारुत, दीपक आश रहा जलता,
बिखर गए ठस पत्थर लोग मृदा दियावट दिप्त रहा।
टन भर तौल करे अपना ममता न चले निज अंश यहाँ,
तिल उनका मन भार हुआ चुप’ का यह ताड़ न पौन तुले…
छोड़ हटा, अब कौन कहे…?

हम बन दीप सलाख जले पथ, रौशन की अभिशप्त रहे,
चुन-चुन साथ लिया सबको हम ही बस क्यों अतिरिक्त रहे,
हृदयहिनों तज के सबको खट सूत्र स्व नेह अब तोड़ दिया,
हँसकर जी यह जीवन क्यों दु:ख से नयना जल सिक्त रहे,
जलकर मिश्रण भस्म हुआ, मन श्रेष्ठ बना तन शुद्ध खरा,
तपकर कुंदन कर्कट से
बढ़िया यह स्वर्ण अलौन रहे…
छोड़ हटा, अब कौन कहे…?

जब-जब पीर बढ़ी मग में, मनमीत बना जग भृत्य कहा,
बिखर गया यह धीरज का धन बौड़म स्वप्न अतृप्त रहा,
अमर कहाँ फल है दुनिया पर शाश्वत हूँ सब ही समझे,
सदगुण ज्ञान न मान मिला व वृथा लगे हठ कृत्य सहा।
धन’ तन क्या मन’ अर्पित’ की कह’ दूँ अब क्या’ कुछ भी ‘न’ बचा,
भर-भर आँचल दी हमने तुमको वह भी कम गौण लगे…
छोड़ हटा, अब कौन कहे…?

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।