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खुशियों की बहती धारा

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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जगमग जीवन ज्योति( दीपावली विशेष)…

बहते दरिया का हो जब किनारा,
दीप से दीप जले तो हो उजियारा।

दीपावली का उत्सव आया,
खुशियों की बहती धारा।

घर, परिवार खुशहाली का हो नजारा,
बम, पटाखे फुलझड़ी रंगोली की हो बहारा।

मिल-जुलकर एकता का संदेश जाता द्वारा-द्वारा,
पूजा-पाठ राम आगमन का हो हो जय-जयकारा।

नए पकवान और मिठाई से
बेहिसाब खाने पर होता फिर
खसारा,सुंदर वस्त्र, आभूषण परिधान की भरमारा।

सुंदर परिवेश संस्कृति का हो सत्कारा,
भोज आमंत्रण पर लगता फिर भंडारा।

प्रभु आगमन पर होता फिर सबका एक नारा, राम जी का जयकारा।
महके जीवन खुशहाली का पावन पवित्र सितारा॥