कुल पृष्ठ दर्शन :

गुरु की महत्ता

बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
*****************************************

गुरु ही वह दीप है,
जो तमस को हर लेता है।

गुरु ही वह वाणी है,
जो चेतनता को जगाता है।

गुरु ही वह सार है,
जो युगों का ज्ञान देता है।

गुरु ही वह प्रेम है,
जो उजियारा भर देता है।

गुरु ही वह धैर्य है,
जो ब्रह्म का तेज जगा देता है।

गुरु ही वह अर्थ है,
जो अमृत धारा बहा देता है।

गुरु ही वह प्रकाश है,
जो दरिद्रता मिटा देता है।

गुरु ही वह शब्द है,
जो आत्मिक उपदेश देता है।

गुरु ही वह विश्वास है,
जो सबका जीवन बना देता है।

गुरु ही वह सत्य है,
जो ज्ञान का बिंदु जगा देता है।

गुरु ही वह अनुभव है,
जो आलोक रस देता है।

गुरु ही वह आशीष है,
जो मिट्टी से स्वर्ण खिला देता है।

गुरु ही वह दर्शन है,
जो नया इतिहास रच देता है॥