प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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रीना की कल ही शादी हुई, पति से साथ एक ही रात गुज़री कि सैनिक पति राकेश को आर्मी हेड क्वार्टर से छुट्टियाँ रद्द होने और ड्यूटी जवॉइन करने का बुलावा आ गया।
इस पर राकेश उदास हो गया, पर नवविवाहिता रीना ने उसका हौसला बढ़ाते हुए उसे उसका फ़र्ज़ याद कराया, और अपने सिंदूर की ताक़त का अहसास कराते हुए निडर होकर लड़ने की बात कही।
इस पर राकेश को जोश आया और वह पूरी हिम्मत के साथ बार्डर पर चला गया, जहाँ वह मौत की परवाह न करते हुए दुश्मन से भिड़ गया। अंत में बुरी तरह से घायल होकर दुश्मन द्वारा कैद कर लिया गया। यहाँ उसके गाँव में उसके शहीद हो जाने की ख़बर आ गई, पर रीना को अपने सिंदूर की ताक़त का अहसास था। वह जानती थी कि उसका पति इस तरह से उसे छोड़कर नहीं जा सकता, इसलिए उसने न अपनी चूड़ियाँ तोड़ीं, न मंगलसूत्र उतारा और न ही माँग का सिंदूर पोंछा।सब उसे बावला कह रहे थे, पर वह टस से मस नहीं हुई।
उधर लड़ाई बंद हो गई और एक दिन चतुराई से राकेश दुश्मन की कैद से निकल भागा, और सीधे अपने गाँव आ पहुंचा। सारे गाँव वाले उसे ज़िन्दा देखकर भौंचक्के रह गए, पर रीना को कोई आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि वह अपने सिंदूर और जंग दोनों की क़ीमत अच्छी तरह से जानती थी।
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।
