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जगदंबिका महात्म

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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श्रद्धा से पूरित वंदना करती हूँ श्री श्री अंबिके,
चरणों में दोनों हाथ जोड़े मैं खड़ी जगदंबिके।

मिल ब्रह्मा, विष्णु, महेश करते हैं तुम्हारी वंदना,
हे! भगवती आराधनी शिव की शिवा भवतारिके।

अर्चन के नूतन भाव मीठे भक्ति सुर दे दो मुझे,
हे! जगत जननी माँ भवानी मातृशक्ति मधुरिके।

प्राणेश्वरी शिव शक्ति तुम संपूर्ण जग की भक्ति हो,
नव रूप धर पूजित जगत ममतामयी आधारिके।

सौंदर्य-रूप निहारते हैं शिव सदा ही प्रीति से,
अर्धांग उनका प्रेम उनका आस जग परिपूरिके।

महादेव जी के पंचमुख हैं षष्ट मुख कार्तिकेय के,
मुख एक से गुणगान कैसे मैं करूँ शुभकारिके।

प्रमाद विष,विवाद विष, विषाद से रक्षा करो,
तुम सद्गति आधार हो जन्मों-जन्म उद्धारिके।

श्रद्धा से पूरित वंदना करती हूँ श्री श्री अंबिके।
चरणों में दोनों हाथ जोड़े मैं खड़ी जगदंबिके॥