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ज़िंदगी तेरे रंग हजार

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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ज़िंदगी तेरे रंग हजार, आँखों में पानी मुख हँसी हजार,
कभी दुखी मन तो कभी क्षणिक सुख मन में आए हजार…।

हरियाली सावन-भादों के बादल लाए संजीवनी हजार,
गर्मी के अहसास लिए पतझड़ करते देखो पेड़ हजार…।

गमों की रात और दिन में हौसला बांधे खड़े पेड़ हजार,
धीरज इनसे सीखो जीवन में मुरझाए मुस्कान पेड़ हजार…।

हिम्मत बांधकर सदैव खड़े रहना तुम गिरना न एक बार,
तमाम खुशियों की बारिश में भीगना होगी कृपा हजार…।

साथ छूटा तो क्या हुआ कोई जीवन में आए इस बार,
पिछली गलती से सीख लिए बढ़ना हाथ थाम इस बार…।

मन के गिले-शिकवे को ईर्ष्या के तराजू मत तौल इस बार,
सबके गुणों में अंतर होता आजमाना तो उसे एक बार…।

बाँहों की पकड़ मजबूत कर देना प्रीत बढ़ाना है हजार,
‘उर’ से सम्मान दिलों में छिपाकर रखना फिर देखना इस बार…।

प्यार उमड़ खुद तड़प कर, आगे चल करके आए इधर।
जमाने को झुकाने में सफल, हो जाएगा तेरा प्यार…॥