बबीता प्रजापति
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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कठिन हो रहा जीवन सबका
नहीं अमृत का अब प्याला,
जी सके तो जी ले हँस के
ये जीवन संघर्षों वाला…।
अंधेरा नित घेर रहा है
दिखता नहीं उजाला,
जी सके तो जी ले हँस के
ये जीवन संघर्षों वाला…।
जीवन जीते एकाकी लोग
मन में लग गया जाला,
जी सके तो जी ले हँस के
ये जीवन संघर्षों वाला…।
तीज-त्यौहार एक हो मनाते
आनंद में डूब मिलकर गाते,
जी सके तो जी ले हँस के
ये जीवन संघर्षों वाला…।
राम-राम का दौर कहाँ अब
समय गया चौपालों वाला,
जी सके तो जी ले हँस के
ये जीवन संघर्षों वाला…।
खुशियाँ अब मिले कहाँ से,
ये दौर महंगाई वाला।
जी सके तो जी ले हँस के,
ये जीवन संघर्षों वाला…॥
