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तोहफ़ा है मित्रता

सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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मित्रता-ज़िन्दगी…

सबसे कहाँ मन मिलते हैं ?
सबसे ही दिन बहलते हैं
तक़दीर से ये ख़्वाब पलते हैं,
मुश्किल से मित्र मिलते हैं।

दूरियाँ कम कर देते हैं,
हिम्मत बढ़ा देते हैं
वक्त बहुत चुराते हैं,
मुश्किल से मित्र मिलते हैं।

मधुर हवा का झोंका है,
मित्रता प्रभु का तोहफ़ा है
जीने की उमंग जगाते हैं,
मुश्किल से मित्र मिलते हैं।

शिकायतें कर तोड़ो न इसे,
महफूज़ करो दिल में इसे
रिश्तों से भी प्यारे लगते हैं,
मुश्किल से मित्र मिलते हैं।

वक्त रहते क़दर कर लो,
कुछ पल संग बाँट लो।
फिर अपने रास्ते चलते हैं,
मुश्किल से मित्र मिलते हैं॥