अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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आराधना करें हम, दर्शन देना माँ,
आदिशक्ति दुर्गा, दिव्यता दिखाना माँ।
वंदन करें चरण, पाप हर लेना माँ,
रिद्धि-सिद्धि का आशीष देना माँ।
कुसुम, अपराजिता, गेंदा अर्पित करें माँ,
सदा आपसे स्वस्थ जीवन चाहें माँ।
जगदम्बिका, महागौरी हर रूप पूजें माँ,
श्रद्धा-भक्ति रखते, तेरी महिमा अनुपम माँ।
मन से करें अर्चना, मिटाएगी दुर्भाव माँ,
धूप, दीप, नैवेद्य दें, सद्भाव- भंडार देगी माँ।
दुर्गति नाशिनी है, करती पाप संहार माँ,
शरणागत को नहीं निराश करती माँ।
कन्या पूजो, धर्म करो, यही है अभिलाषा माँ,
देवों ने भी की वन्दना, वर अक्षय देती माँ।
दशभुजा से शोभित, सब दिव्यास्त्र रखती माँ,
है काल विनाशिनि, सदा धर्म-सृष्टि रचती माँ।
असुर शुम्भ-निशुम्भ को मारा, सदा कल्याणी माँ,
सदा मांगें धर्म स्थापना, जनहित कल्याण माँ।
करें माँ से भले की प्रार्थना, विश्वास न छोड़ें माँ,
सुख, प्रेम, शांति, आशीर्वाद देगी, जगत जननी माँ॥