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दिया सुलभ शिक्षा ज्ञान

आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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‘महामना’ मदन मोहन मालवीय जन्मदिन (२५ दिसम्बर) विशेष….

‘महामना’ थे महात्मा, व्यक्तित्व बड़े महान,
देश-समाज ने उपाधि कर दी उन्हें प्रदान
गरीब, दलित, पिछड़ों को दिया उन्होंने सम्मान,
मध्यम वर्ग गरीब को दिया सुलभ शिक्षा का ज्ञान।

समाज सेवा, समर्पण, नेतृत्व से पाया काँग्रेस में भी मान,
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चार दफा बन फूँकी उसमें जान
हिंदी के प्रचार-प्रसार की थामी बढ़कर अग्र कमान,
प्रयास रहा भाषा राष्ट्रीय हिंदी बने, देश की पहचान।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बने संकल्प लिया वो ठान,
एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय मालवीय का अरमान,
१९६१ में स्थापना की, भिक्षा ले भूमि, धन-जन का दान,
आज खड़ी है यही इमारत दिखाती भारत का स्वाभिमान।

सविनय अवज्ञा, असहयोग आंदोलन से डाला देश भक्ति का प्राण,
इलाहाबाद हाईकोर्ट के नामी वकील पं. मदन मोहन बने देश के प्राण
स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, समाज सुधारक, पत्रकार के उम्दा प्रमाण,
समाचार पत्र ‘अभ्युदय’ और ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की स्थापना अभिप्रमाण।

बिना आज़ादी सब कुछ कर गए ‘महामना’ की आड़,
इच्छाशक्ति के फौलादी मालवीय जी हथेली पर रखे पहाड़।
देश की आज़ादी की खातिर अंग्रेजों को देते रहे दहाड़,
भारत माँ के सच्चे सपूत को सरकार ने दे दिया ‘भारत रत्न’ छाती फाड़॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे आचार्य संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। सम्मान-पुरस्कार में आपको महात्मा बुद्ध  सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान मिले हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”