डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’
बांदीकुई (राजस्थान)
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दीप जलें, मन महके (दीपावली विशेष)….
पंच दिवस का पर्व, हर्ष से सभी मनाते।
करें स्वच्छ घर द्वार, खीर पकवान बनाते॥
दीपों का त्यौहार, करे जग में उजियारा।
लक्ष्मी का हो वास, मिटे हर मन अँधियारा॥
धनतेरस का पर्व, खुशी घर-घर में लाए।
लक्ष्मी संग गणेश,ऋद्धि और सिद्धि आए॥
धन्वंतरि हैं वैद्य, औषधि के हैं ज्ञाता।
रोग करे ये दूर, मनुज नव जीवन पाता॥
नरकासुर को मार, सभी ने पर्व मनाया।
रूप चतुर्दश साथ, देह सौंदर्य सजाया॥
यम का भय हो दूर, दीप चौमुखा जलाओ।
जो भी हो धनहीन, खुशी उसके भी लाओ॥
धन से भरे कुबेर, खुशी तन-मन में छाए।
दीपोत्सव का पर्व, सभी मिल खूब मनाए॥
घर-घर बंदनवार, द्वार पर सभी लगाते।
आए लक्ष्मी मात, भोग मिष्ठान्न लगाते॥
लक्ष्मी पूजा बाद, करें गोवर्धन पूजन।
मन में भरे उमंग, करें समृद्धि अर्जन॥
आती भाई दूज, बहन-भाई का नाता।
टीका करती भाल, भ्रात भी वचन निभाता॥
परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’