ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
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घर में की साफ-सफाई,
दीवारों में की पुताई
कपड़ों की कर ली धुलाई,
गलियाँ भी हमने चमकाई
फिर भी नहीं थकावट है,
दीपोत्सव की आहट है…।
लेकर रौनक सजे बाजार,
मोतियों का सुंदर हार
फूलों की लम्बी कतार,
खरीददारी के लिए सब हैं तैयार
देखो कितनी गर्माहट है,
दीपोत्सव की आहट है…।
नई हिलोर नई उमंगें आई,
खुशियों की नई तरंगें आई
खूब पटाखे-फुलझड़ियाँ भाई,
बताशे और रस मलाई
अब तो इन्हीं की चाहत है,
दीपोत्सव की आहट है…।
दीप रंगोली घर पर लाए,
घर-आँगन हमने सजाए
बच्चों को नए कपड़े दिलाए,
बड़ों के लिए उपहार हैं लाए।
सबके चेहरे में अब मुस्कुराहट है,
दीपोत्सव की आहट है…॥