ग्वालियर (मप्र)।
कथा मन से निकलती है, फिर वह कागज पर उतरती है जैसे सागर मंथन के बाद अमृत निकला था। कथाकार स्त्री या पुरुष नहीं होता। कहानी सुंदर विधा है, वह गल्प नहीं है। आज दुनिया बदल रही है, कहानी का ढंग भी बदला है।
यह विचार कथाकार व वरिष्ठ पत्रकार सुदर्शना द्विवेदी ने ‘सुनें कहानी १४’ में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। आयोजन के संयोजक हरीश पाठक ने बताया कि मेरा यह प्रयोग आज आठवें साल में हैं और अब तक ४८ कथाकार इससे जुड़ चुके हैं। मेरी दमित इच्छा है कि वह दिन आए, जब टिकट खरीद कर लोग हिंदी कहानी सुनने आएं।
इस मौके पर सीमा असीम की कहानी ‘गुलफिजा’ का पाठ अभिनेत्री श्रुति भटनागर ने व समीक्षा श्रीमती कमलेश पाठक ने की। उमा की कहानी ‘रियाज’ का पाठ वरिष्ठ पत्रकार प्रियम्वदा रस्तोगी ने किया। समीक्षा डॉ. अंजू शर्मा ने की। स्वागत भाषण वरिष्ठ कथाकार अलका अग्रवाल ने दिया।
समारोह का संचालन डॉ. रीता दास राम ने किया। आभार वरिष्ठ पत्रकार विवेक अग्रवाल ने व्यक्त किया।