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धूल धूसरित धरा आभूषण

आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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पूरे देश-में छाया सफेद धुआँ, धुंधला-धुंध,
पर्यावरण प्रदूषित हुआ, गंदी है ओस की बूँद
बादल में जकड़े सूर्यदेव ने आँखें ली है मूंद,
तरसता जन जीवन, त्राहिमाम पेड़ पौधे, कुमुद।

न कुहरा छँटा, न बादल फटा, न सूरज में है तेज,
शीत लहर के ठण्ड कहर में डूबा मानव निस्तेज
भीषण ठण्ड में, शीतलहर में बचो- रखो परहेज,
आग, लकड़ी, कोयला जलाओ तनिक न करें गुरेज।

ठिठुरन में है देश हमारा, रजाई में भी जकड़न,
पानी ठंडा-मौसम ठंडा, नहीं किसी में अकड़न
बूढ़े-बुजुर्गों की हालत ऐसी, सबकी बढ़ गई धड़कन,
सन्नाटे में सबका जीवन, रात में ठण्ड की कनकन।

बच्चों के स्कूल में देखो, पढ़ने का ना हो मन,
बच्चे तो बच्चे ही हैं, मस्तिष्क है ठण्ड में सन्न
बड़े-बड़ों की हालत ऐसी, अब कैसे रहें प्रसन्न ?
निर्णय है आभासी पढाई हो, फिर दिल क्यों अप्रसन्न ?

‘क्रिसमस’ आया बड़ा दिन ले है स्कूलों में उत्तर प्रश्न,
‘नया वर्ष’ अँग्रेजी आया पिकनिक में जहाँ जश्न
सर्द से राहत देते समाज सेवी कम्बल वितरण व राशन,
कड़ी शीत लहर में रात की ड्यूटी देता पुलिस व प्रशासन।

मंत्री, नेता घर-घर कैद हो फेक रहे आश्वासन,
बूढ़ी हड्डी दम तोड़ रही, हाड़-कांप में बंद होता श्वसन।
ए.क्यू.आई. भी बढ़ता जा रहा ग्रहण है प्रदूषण,
पेड़ काट दिए, जंगल काटे, धूल धूसरित धरा आभूषण॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे आचार्य संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएस-सी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता व रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुम्बई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़े हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। सम्मान-पुरस्कार में आपको महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२०२३ सहित अन्य मिले हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार करना है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज-पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”