कुल पृष्ठ दर्शन : 11

नि:शब्द प्रेम

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
*************************************************

मौन रहकर भी,
बहुत कुछ कह गया
तुम्हारा निश्छल प्रेम,
आँखों से बह गया।

लब हिले पर शब्द,
मुँह में ही रह गए
जो कहना था,
नयनों से बयां हो गया।

क्यों नहीं जान पाया,
बोलना, सुनना अपरिहार्य है
प्रेम नि:शब्द होकर भी,
परम आनंद की अनुभूति दे गया।

देख कर तुझे,
ये यक़ीन हो गया
शब्दहीन होकर भी मेरे,
चेहरे की खुशी को पढ़ लिया।

चुपके से मुस्कुराना तेरा,
गज़ब का जादू ढा गया
बिन कुछ कहे ही,
उल्लास की बौछार बरसा गया।

मुखमंडल लालिमा लिए,
कनपटी तक लावण्य छा गया।
चुप रहकर भी प्रीत अपनी आभा
से,
मन को विभोर और उदात्त कर गया॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।