काव्य गोष्ठी…
सोनीपत (हरियाणा)।
परिवार एक मंदिर है, जिसमें प्रेम, सम्मान और कर्तव्य की पूजा होती है।
कल्पकथा परिवार की जीवन के विविध रंगों से सजी रही काव्य गोष्ठी में यह बात अध्यक्षीय उद्बोधन में अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ ने कही। कल्पकथा साहित्य संस्था की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि २००वीं ऑनलाइन गोष्ठी में सृजनकारों ने विविध सामाजिक मुद्दों पर आधारित काव्य रचनाओं से समाज को जागृत करने का प्रयास किया।
वाराणसी से जुड़े विद्वान साहित्यकार अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ ने अध्यक्षता की। आशुकवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ व पवनेश मिश्रा के संचालन में कार्यक्रम का शुभारंभ नागपुर से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा गुरु वंदना, गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना के संगीतबद्ध गायन के साथ हुआ।
जनसेवा, परिवार संस्था के महत्व, साइबर सुरक्षा, सनातन संस्कृति व राष्ट्र प्रथम आदि विषयों को स्पर्श करती काव्य रचनाओं के कार्यक्रम में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल से जुड़े सृजनकारों ने प्रस्तुति दी। प्रमोद पटले, डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज, निधि बोथरा जैन, दुर्गादत्त मिश्र ‘बाबा’, श्रीमती ज्योति प्यासी, डॉ. पंकज कुमार बर्मन, दीदी श्रीमती राधाश्री शर्मा एवं पवनेश मिश्रा ने काव्य पाठ किया।
‘मधुप’ ने मुक्तकण्ठ से आयोजन की प्रशंसा करते हुए सभी को मंगलकामनाएं दी। कल्पकथा संस्थापिका दीदी श्रीमती राधाश्री शर्मा ने आभार व्यक्त किया।